Sunday, 20 August 2017

बिहार क्या राजनीती -नितीश के साथ साथ जनता के भी दोनों हाथों में लड्डू

बिहार क्या राजनीती -नितीश के साथ साथ जनता के भी दोनों हाथों में लड्डू
कुछ दिनों से बिहार की राजनीती का रोमांच अपने चरम पर था।लुका छुपी का खेल लगातार चल रहा था।नितीश कभी रूठे कभी माने। कभी गठबंधन में सब ठीक । कभी उठा पटक। इन सबके बाद आखिरकार नितीश ने इस्तीफा देकर ।दुबारा सरकार बनाने में जरा देर नही लगाई। जनता की मौज अब जब बीजेपी के साथ नीतीश बाबू मुख्यमंत्री है।तो एक सवाल यह है। कि चुनाव के दौरान महागठबंधन और बीजेपी दोनों के अलग अलग घोषणापत्र थे। नीतीश ने पिछले पौने दो सालो में महागठबंधन के वादों पर काम किया।व् शराब बंदी जैसी योजना लागू की।

अब जनता इस इंतज़ार में है।कि अब अगले 3 सालो  वो बीजेपी का घोषणा पत्र लागू करेंगे। इस प्रकार जनता को दोनों घोषणापत्रों के वादों का लाभ जनता को मिलना चाहिए।क्योंकि नीतीश अपना घोषणापत् लागू करे ।साथ ही साथ बीजेपी का भी। अगर नितीश ने ये कर दिखया तो ।इतिहास में पहली बार होगा। और जनता की पौ बारह होना तय है।

गुजरात में कांग्रेस ने चखा जीत का स्वाद

कल रात भर चले शियाशी ड्रामे के बीच जब गुजरात की तीन राज्यसभा की सीटों के नतीजे देर रात आये तो को कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी राहत लेकर आये । पिछले एक महीने से चला आ रहा राजनैतिक संकट फ़िलहाल तो कांग्रेस पार्टी के टल गया । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल अपनी राज्यसभा की सीट बचाने में कामयाब रहे । दो कांग्रेस के विधायकों का वोट रद्द होने का फायदा अहमद पटेल को मिला और वो 44 मतों एक साथ विजयी घोसित कर दिए गए । गौरतलब है की कांग्रेस के दो विधायक भोला भाई और राघव जी भाई पटेल ने वोट डालते वक़्त अपना वोट वहां पर मोजूद बीजेपी के पोलिंग एजेंट को दिखाया । जिसपर कांग्रेस के नेताओ ने आपत्ति जताई ।और कांग्रेस के कई नेताओ ने चुनाव आयोग से इस मामले के जांच की मांग की,और वहां की सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद चुनाव आयोग कांग्रेस के इन दोनों विधायकोंकेवोट को रद्द करार दिया । जिसका फायदा अहमद पटेल को मिला । पटेल ने कांग्रेस से बागी होकर बीजेपी में शामिल हुए बलवंत सिंह को मात दी । चुनाव आयोग के बयान के अनुसार विडियो देखने से साफ पता चलता है कि कांग्रेस के दोनों बागी विधायकों ने अपने वोट को गुप्त नहीं रखा और इसके साथ उन्होंने बने नियम का उल्लंघन किया । वही इस जीत के बाद अहमद पटेल ने इसे सत्य की जीत करार दिया जिसके सामने बाहुबल और पैसा हर गया । दूसरी तरफ बीजेपी के अमित शाह और स्मृति ईरानी नेभी अपनी सीट बड़ी आसानी से जीत ली ।

हैरी मैट सेजल का फ्लॉप शो और शाहरुख़ खान

पिछले कई सालो से लगातार शारुख खान की फिल्मो का ग्राफ गिरता ही जा रहा है । हाल ही में आई फिल्म हैरी मैट सेजल ने ये बात और पुख्ता कर दी कि शाहरुख़ खान में वो बात नहीं रही जो कभी दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे से शुरू हुई थी । शाहरुख़ का वो रोमांटिक अंदाज़ आज तक लोगो के दिल में बसा हुआ । जब शाहरुख़-काजोल को ट्रैन में से एक हाथ देते हुए काजोल को पकड़ते है । वो शाहरुख़ का दिलकस छोटे छोटे शहरो में बड़ी बड़ी बात होती रहती है कहना,अब सब ख़त्म सा होता जा रहा है । वो कुछ कुछ होता है में शाहरुख़ का राहुल बनकर अंजलि को छेड़ना ,कभी खुशी कभी गम में बड़ी भाई और अपने माँ का लाडला होना ।

ऐसी कहानी जो लोगो केदिलो दिमाग में अब तक छाई हुई है । वो बात शाहरुख़ खान में अब कही नहीं दिखती । हर नहीं फिल्म के साथ उनकी फैन फोल्लोविंग काम होती जा रही है शायद इस कारण उनकी पिछली कुछ फिल्मे है जो शायद उन्हें नहीं करनी चाहिए थी ,पर उन्होंने कि चाहे वो फराह खान कि हैप्पी न्यू ईयर हो या रोहित शेट्टी कि चेन्नई एक्सप्रेस ,फिर उसके बाद आयी फैन इन तमाम फिल्मो से दर्शक निराश ही हुए । शाहरुख़ कि बढ़ती उम्र भी इसका एक कारण हो सकती है । पर अब वक़्त आ गया है कि शाहरुख़ को भी अपनी नयी पारी के बारे में सोचना पड़ेगा कि वो अब और फिल्मे बतौर अभिनेता बनाएंगे या फिर निर्माता के तोर पर ।

Thursday, 18 August 2016

रक्षाबन्धन का रहस्य

रक्षाबंधन नहीं - श्रावण पूर्णिमा : अंगुलिमाल धम्मदीक्षा व प्रथम बौद्ध संगीति शुभारंभ दिवस

रक्षाबंधन का दिन सावन (श्रावण) की पूर्णिमा, यह वही दिन है जिस दिन भगवान बुद्ध ने खूँखार डाकू अंगुलिमाल को धम्मदीक्षा दिया था। इसी दिन बौद्ध भिक्खुओं ने प्रथम बौद्ध संगीति का शुभारंभ किया था। भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण वैशाख की पूर्णिमा के बाद तीसरे महीने की पूर्णिमा को यानि श्रावण की पूर्णिमा को बौद्ध संगीति शुरू हुई। इसका ऐतिहासिक और लिखित महत्व होने के कारण, इसको मिटाने के उद्देश्य से आर्यों ने इसी दिन को यानि सावन पूर्णिमा के दिन ही यह रक्षाबंधन स्थापित कर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि हम बौद्ध संगीति के प्रथम दिन को भी भूल गए और उसके महत्व को भी नहीं समझ सके।

आर्यों ने बड़ी ही होशियारी से एक तीर से दो लक्ष्य साधे :-
एक तो राजा बलि की हत्या करके उस पर पर्दा डाल दिया। दूसरे अपनी उसी जीत की खुशी को सावन पूर्णिमा के दिन स्थापित करके बौद्धों के एक ऐतिहासिक दिन और धम्म सभा आयोजन की परम्परा को भी मिटा दिया। और रक्षाबंधन का त्यौहार बना दिया।

किन्तु यह रक्षाबंधन भाई -बहन का त्यौहार कैसे बना यह समझ में नहीं आता। यद्यपि आर्यों ने मूलनिवासियों की संस्कृति को नष्ट कर इन्हें अपमानित करने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। इसी के परिणाम स्वरूप हिंदू धर्म की अधिकतर पुराण और स्मृतियाँ सामने आई।

जो हिंदू धर्म की मान्यताओं पर रक्षाबंधन मनाने वाले लोग हैं उनको ज्ञात होना चाहिए कि जिस तथ्य के आधार पर रक्षाबंधन मनाया जाता है वह तथ्य आज के रक्षाबंधन से मेल नहीं खाता। रक्षा तो इन्द्राणी ने इन्द्र को बांधा था जोकि इन्द्र की पत्नी थी किन्तु अब बहन रक्षा बांधती है। आखिर बहन क्यों बांधती हैं ? क्या बहन को पत्नी का दर्जा देना उचित है ? यदि नहीं, तो क्या पत्नी को वर्ष में एक बार बहन बनाना उचित है ? नहीं। जबकि हिंदू तथ्य के अनुसार रक्षाबंधन तो पत्नी से ही बंधवाया जाना उचित है जैसा इन्द्र ने इन्द्राणी से बंधवाया था। किन्तु आज का हर हिंदू अपनी बहन से राखी बंधवाता है अर्थात वर्ष में एक दिन बहन को बड़ी खुशी से पत्नी का दर्जा दे दिया जाता है। बहन का इससे बड़ा अपमान और क्या हो सकता है ? अब आप राखी किससे बंधवायेगे, फैसला आप पर है।

इस देश के मूलनिवासियों को ध्यान रखना होगा कि आपके मूल त्यौहार को तो त्यौहार बनने से पहले ही दफना दिया गया। प्रथम बौद्ध संगीति और अंगुलिमाल धम्मदीक्षा का वह दिन आपकी यादाश्त से मिटा दिया गया। इस देश के मूलनिवासी महाशक्तिशाली, दानवीर सम्राट बलि को छलपूर्वक परास्त करके मूलनिवासियों की
पराजय घोषित की गयी। यही रक्षाबंधन की सच्चाई है।

यह भाई -बहनों का त्यौहार नहीं है। यदि ऐसा होता तो मुसलमान बहनें, ईसाई बहनें एवं अन्य धर्मो की बहनें अपने -अपने भाइयों को राखियां बांधती होती, लेकिन ऐसा नहीं होता है। दूसरा इस त्यौहार का रहस्य यह है कि यह त्योहार आर्य और अनार्य संघर्ष एवं अनार्य दमन की यादगार है। यह त्यौहार स्त्री दासता का प्रतीक है। स्त्री को अबला कहकर इसकी रक्षा का भार पुरूष पर डाला गया है। अपनी रक्षा की राखी बांधकर स्त्री सदैव दूसरों की आश्रित और अपने को हीन समझती रहे यह भी इस त्यौहार का उद्देश्य है।

इसलिए रक्षाबंधन मूलनिवासी बौद्धों का त्यौहार नहीं हो सकता। मूलनिवासियों के धर्म और संस्कृति में महिलाओं का पुरूषों के बराबर सम्मान और अधिकार है। अपनी मान मर्यादा को बनाए रखना, अपनी बहन बेटियों की रक्षा -सुरक्षा और सहयता करना तो हमारा मानवीय और नैतिक कर्तव्य है जोकि बिना राखी बंधवाए
ही करना चाहिए और करते भी हैं। ब्राह्मण के द्वारा बांधे जाने वाले कलावे (धागे) को कभी नहीं बंधवाना चाहिए, क्योंकि यह हमारी गुलामी का प्रतीक है और कोई भी ढोंग पाखंड करने की जरूरत नहीं है। अपने इतिहास से सीख लें।

हर पूर्णिमा को बौद्ध उपासक / उपासिकाओं को शुभ वस्त्र पहनकर अपने बच्चों के साथ, परिवार के सभी लोगों के साथ अपने नजदीक के चैत्यों, बुद्ध विहारों, स्तूपों पर धम्म वन्दना के लिए जाना चाहिए। जिससे कि हमारे पूर्वजों के प्राचीन काल के कल्चर की शुरुआत दुबारा से हो सके, और जिसके घर के नजदीक कोई चैत्य, बुद्ध विहार, स्तूप मौजूद नहीं है, वो अपने घर को ही बुद्धमय बनाकर परिवार के साथ धम्म वन्दना करे।

किसी भी धम्म स्थल, सामूहिक भूमि, संभव हो सके तो व्यक्तिगत भूमि पर उचित स्थान पर प्रत्येक वर्ष सावन पूर्णिमा के दिन एक बोधिवृक्ष लगाएं। प्रथम बौद्ध संगीति को स्मरणीय बनाने के लिए धम्म संगोष्ठियों का आयोजन करें। अपने आचरण -सभ्यता -संस्कृति और धम्म के प्रति सचेत रहें।

अत्त दीपो भव भवतु सब्ब मंगलं
सम्राट अशोक धम्म विजय दिवस महोत्सव व बौद्ध धम्मदीक्षा
11 अक्टूबर 2016, सारनाथ, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

अंगुलिमाल धम्म दीक्षा व प्रथम बौद्ध संगीति शुभारंभ दिवस की
हार्दिक धम्मकामनाएँ, नमो बुद्धाय....

Monday, 1 August 2016

500 रु.में बनेगा इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस, दुनिया में कहीं भी चला सकेंगे कार

अब आप इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस बनवा सकते हैं। जिसका सीधा-सा मतलब है कि उसे बनवाकर दुनिया के किसी भी कोने में कार, बाइक से लेकर पर्सनल यूज के लिए कोई भी गाड़ी चला सकते हैं। इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस बनावाना भी न केवल आसान है, बल्कि उसका खर्च भी बहुत कम आता है। आज हम आपको मात्र 500 रुपए में इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के तरीके बता रहा है। जिसके लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना होगा...

इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस न केवल रेग्युलर विदेश यात्रा करने वालों के काम आता है, बल्कि जो कभी-कभार विदेश जाते हैं, उन्हें भी इसका फायदा मिलता है। इसके साथ ही जो लोग विदेश कंपनियों के तरफ काम के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर जाते हैं, उनके लिए भी यह काफी लाभकरी होता है। यह किसी भी इमरजेंसी आपके लिए विदेश में काम आ सकता है। साथ ही, विदेश में घूमने का खर्च भी कम करता है।

कैसे करें अप्लाई
इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस को आप जैसे सामान्य लाइसेंस बनवाते हैं, उसी तरह बनवा सकते हैं। इसके लिए आप लोकल आरटीओ ऑफिस में जाकर अप्लाई कर सकते हैं।

चाहिए ये डॉक्युमेंट ...
इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए इन डॉक्युमेंट की जरूरत होती है। इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस बनवाते समय आपको इन डॉक्युमेंट्स के ऑरिजनल भी अपने साथ रखने होंगे।

फॉर्म 4A (इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस का एप्लिकेशन फॉर्म), ये ऑफिस और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
- वैलिड ड्राइविंग लाइसेंस की अटेस्टेड कॉपी ...
- एड्रेस प्रूफ की अटेस्टेड कॉपी ...
- वैलिड पासपोर्ट की अटेस्टेड कॉपी ...
- वैलिड वीजा की अटेस्टेड कॉपी ...
- एयर टिकट की कॉपी ...
- पांच पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ ...
- मेडिकल फॉर्म 1-A, ये ऑफिस और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ...
- भारतीय राष्ट्रीयता का प्रूफ ...
- बर्थ सर्टिफिकेट की अटेस्टेड कॉपी ...

ये है फीस ...
- इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए 500 रुपए फीस देनी होगी। ये आपको अपने एरिया के लोकल ट्रांसपोर्ट ऑफिस को कैश में जमा करानी होगी। ...

कितने समय के लिए होता है जारी ...
इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस एक साल के लिए जारी होता है। आपको एक साल के टाइम पीरियड में इसका इस्तेमाल करना होगा। नॉर्मल ड्राइविंग लाइसेंस अब पांच साल के लिए बनता...

कौन बनवा सकता है लाइसेंस ...
- आपके पास वैलिड ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए। ...
- आपके पास वैलिड पासपोर्ट होना चाहिए। ...


नहीं होता है रिन्युअल ...
इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यू नहीं होता। वैलिडिटी खत्म होने के बाद आपको फिर से इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अप्लाई करना होगा। ...


कब होता है जारी ...
इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस सुबह 8.30 बजे से दोपहर के 1:00 बजे तक जारी होता है। ...


कितने दिन में मिलता है इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस ...
इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस सात वर्किंग दिन से अधिकतम 30 दिन में जारी हो जाता है। ...


Source: http://money.bhaskar.com/news-fbo/MON-STA-DELH-with-international-driving-licence-drive-anywhere-in-world-5193375-PHO.html

Sunday, 10 July 2016

ये 15 बातें पढ़ने में छोटी ज़रूर हैं, लेकिन आपकी ज़िंदगी पर डाल सकती हैं बड़ा असर

कई बार हम लोग छोटी-छोटी दिक्कतों के लिए भी दवाओं का सहारा लेते हैं, जबकि कुछ ऐसे उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर ऐसी परेशानियों को छू-मंतर किया जा सकता है। आजकल की लाइफस्टाइल ऐसी है कि हमारे पास खुद की देखभाल का वक़्त नहीं बचता है, तो हमने सोचा क्यों न आपको ऐसे आइडियाज़ बताएं, जिन्हें आप आसानी से फॉलो कर सकते हैं। आपको भले इन पर यकीन नहीं होगा, लेकिन एक बार आजमाकर देखिए, फिर हमसे बताइए।

1. बिलकुल ठण्डे पानी से नहाइए, मुँहासे (Acne) की समस्या नहीं होगी। क्योंकि ये त्वचा के खुले बड़े छिद्रों (Pores) को बंद कर देता है।



2. अगर रात में सोते हुए नाक बंद हो जाती है, तो अपने पास एक प्याज रखिए।



3. अगर माइग्रेन की प्रॉब्लम है तो हाथों को बर्फ के पानी में रखिए और उन्हें घुमाइए तो आराम मिलेगा।



4. अगर हंसी नहीं रुक रही, तो खुद को पिंच करिए, हंसी रुक जाएगी।



5. अगर मच्छर ने काट लिया है, तो उस जगह पर Deo लगाइए, खुजली नहीं होगी।



6. दांत में दर्द होने पर अपनी अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच बर्फ रखकर दबाने से दर्द में 50 प्रतिशत राहत मिलती है।



7. अगर आप लेटे हुए हैं और चक्कर आ रहा है तो अपना एक पैर फर्श पर रखिए, दिमाग को इससे मदद मिलती है।



8. नींद आने में समस्या हो रही है, तो आंखों को एक मिनट तक तेजी से झपकाने से नींद आएगी।



9. सोने से पहले अगर आप किसी स्पीच या नोट को याद करते हैं, तो सुबह ये आपको याद अच्छी तरह से याद रहेगी।



10. अगर आपको नींद आ रही है, तो अपनी सांसों को जितना देर हो सके रोककर रखिए, फिर छोड़ दीजिए, नींद नहीं आएगी।



11. अगर गले में खराश है, तो अपने कानों को खींचिए, आराम मिलेगा।



12. काम करते समय अगर ध्यान भटक रहा है, तो खुद से बातचीत करने पर ध्यान भटकना कम होता है।



13. 30 से 35 मिनट की पढ़ाई के बाद 10 मिनट का ब्रेक लेने से पढ़ा हुआ याद रहता है।



14. मानसिक दबाव महसूस करने पर हंसना चाहिए। इससे 50 प्रतिशत तक मानसिक दवाब कम होता है।



15. अवसाद में आने पर आप जिनसे प्यार करते हैं, उनके बगल सोइए, नींद गहरी और अच्छी आएगी, अवसाद कम होगा।


Wednesday, 29 June 2016

औरत का सफर

बाबुल का घर छोड़ कर पिया के घर आती है..
एक लड़की जब शादी कर औरत बन जाती है..
अपनों से नाता तोड़कर किसी गैर को अपनाती है..
अपनी ख्वाहिशों को जलाकर किसी और के सपने सजाती है..
सुबह सवेरे जागकर सबके लिए चाय बनाती है..
नहा धोकर फिर सबके लिए नाश्ता बनाती है..
पति को विदा कर बच्चों का टिफिन सजाती है..
झाडू पोछा निपटा कर कपड़ों पर जुट जाती है..
पता ही नही चलता कब सुबह से दोपहर हो जाती है..
फिर से सबका खाना बनाने किचन में जुट जाती है..
सास ससुर को खाना परोस स्कूल से बच्चों को लाती है..
बच्चों संग हंसते हंसते खाना खाती और खिलाती है..
फिर बच्चों को टयूशन छोड़,थैला थाम बाजार जाती है..
घर के अनगिनत काम कुछ देर में निपटाकर आती है..
पता ही नही चलता कब दोपहर से शाम हो जाती है..
सास ससुर की चाय बनाकर फिर से चौके में जुट जाती है..
खाना पीना निपटाकर फिर बर्तनों पर जुट जाती है..
सबको सुलाकर सुबह उठने को फिर से वो सो जाती है..
हैरान हूं दोस्तों ये देखकर सौलह घंटे ड्यूटी बजाती है..
फिर भी एक पैसे की पगार नही पाती है..
ना जाने क्यूं दुनिया उस औरत का मजाक उडाती है..
ना जाने क्यूं दुनिया उस औरत पर चुटकुले बनाती है..
जो पत्नी मां बहन बेटी ना जाने कितने रिश्ते निभाती है..
सबके आंसू पोंछती है लेकिन खुद के आंसू छुपाती है..
नमन है मेरा घर की उस लक्ष्मी को जो घर को स्वर्ग बनाती है..
ड़ोली में बैठकर आती है और अर्थी पर लेटकर जाती है..

Surendra Rajput