भारत के लिए पहली बुलेट ट्रेन चलाने में जापान मदद करेगा। यह ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच दौड़ेगी और 505 किलोमीटर की दूरी को सात घंटे के बदले दो घंटे में पूरा करेगी। इसके लिए भारत और जापान के बीच एमओयू साइन हुआ है। हम आपको इस ट्रेन के बारे में सारी जानकारी दे रहे हैं। यहां तक कि इस प्रोजेक्ट से जुड़ी रिपोर्ट के आधार पर बता रहे हैं कि इस ट्रेन का किराया कितना होगा?
ये है प्रोजेक्ट
हाईस्पीडः मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर
दूरीः 505 किलोमीटर
खर्च होंगेः 98,805 करोड़ रुपए
यात्रा का समयः 7 घंटे की बजाय 2 घंटे
प्रपोज्ड स्पीडः 300 किलोमीटर प्रति घंटा
दो साल पहले शुरू हुई थी स्टडी
इसके लिए जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) और रेल मंत्रालय, भारत ने दो साल पहले ही हाईस्पीड रेल बनाने और चलाने को लेकर स्टडी शुरू की थी।
जुलाई में सौंपी गई रिपोर्ट
यह रिपोर्ट भारत को जुलाई 2015 में सौंपी गई। इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि जापान की बुलेट ट्रेनों में शामिल शिंकान्सेन की तर्ज पर भारत में ट्रेन चलाई जा सकती है।
ये होगा किराया
जेआईसीए के अध्ययन पर बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस ट्रेन का संभावित किराया करीब 2800 रुपए होगा। मुंबई-अहमदाबाद के बीच फिलहाल सबसे ज्यादा किराया मुंबई शताब्दी एक्सप्रेस फर्स्ट क्लास का है। फर्स्ट क्लास से सफर करने पर यात्रियों को 1920 रुपए भरने होते हैं।
इस रूट पर कुल 12 स्टेशन बनाए जाएंगे।
भारत 10 हजार किलोमीटर के हाई-स्पीड रूट प्लान कर रहा है।
इस प्रोजेक्ट के लिए जापान चाहता है कि भारत, कम से कम 30 फीसदी इक्विपमेंट जापान से खरीदे। जिनमें टोक्यो में निर्मित कोच भी शामिल हों।
इस काम के लिए जापान भारत को 1 फीसदी से भी कम की दर पर 50 साल के लिए लोन देगा।
जापान इस प्रोजेक्ट में भारत की 81 फीसदी कॉस्ट का वहन करेगा।
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2017 में होगी और 2023 तक इसके कम्पलीट होने की उम्मीद है।
इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इस लाइन को नई दिल्ली तक बढ़ाया जाएगा।
जापान के बिजनेस डेली निक्की के मुताबिक साल 2023 तक 40 हजार यात्री इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
इतने बनेंगे पुल और टनल
इस रूट पर 11 टनल बनाए जा सकते हैं। जिनमें से एक मुंबई में समुद्र के भीतर होगा। इसके अलावा मुंबई-अहमदाबाद रूट में 318 किलोमीटर के बांध, 162 किमी पुल और 27.01 किलोमीटर की 11 सुरंगें बनाना भी शामिल होगा। इस लाइन में कुल 12 स्टेशन होंगे जिनमें सूरत और वड़ोदरा में दो-दो मिनट का ठहराव होगा।
जापान ने बनाई थी विशेष लाइन, 1964 में शुरू हुई पहली लाइन
दुनिया में जापान पहला देश है, जिसने हाईस्पीड ट्रेनों के लिए विशेष रेलवे लाइन शिन्कान्सेन बनाई। शिंकान्सेन का मतलब है, नई ट्रंक लाइनें। जापान में पहली 515 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन 1964 में टोक्यो और शिन ओसाका के बीच शुरू हुई थी। यह ट्रेन 285 किमी/घंटा की रफ्तार से टोक्यो और शिन ओसाका की दूरी तय करने में 2 घंटे 22 मिनट का वक्त लेती है।
जापान की टेक्नोलॉजी लेने वाले दूसरा देश हो सकता है भारत
जापान यह टेक्नोलॉजी कई देशों को ऑफर कर रहा है। हाल ही जापान ने अपनी बुलेट ट्रेन से जुड़ी टेक्नोलॉजी ताईवान को बेची है। अगर भारत इसे लेने का फैसला करता है तो वह ऐसा दूसरा देश हो जाएगा।
No comments:
Post a Comment