Friday 6 March 2015

क्या कोई सरकार सच में आम आदमी की स्थिति सुधारना चाहती है?

आये दिन हमारे देश में कोई न कोई नया घोटाला सामने आता है जैसे कॉमनवेल्थ, कोयला और २G घोटाले आदि। आरोपियों पर केश भी चलता है लेकिन कुछ दिन बाद सब शांत हो जाता है। या फिर किसी बेगुनाह को सजा देकर मुजरिम बच जाता है। और घोटाले की रकम कभी वापस नहीं आती।  आज हमारे देश में भ्रस्टाचार चरम पर है और इसमें हर वर्ग के लोग शामिल है।

अलग-अलग सरकारें सैकड़ों चुनावी वादे करके सत्ता में आती हैं और चुनाव जीतने के बाद सब कुछ भूल जाती है। हर पार्टी का अपना-२ चुनावी मुद्दा होता है और जो पार्टी जनता को बेवकूफ बनाने में सफल हो जाती है उसी की जीत हो जाती है। जिस पार्टी की सरकार होती है उसी का सब कुछ होता है। सारे कायदे कानून सिर्फ आम जनता पर ही लागू होते हैं, जबकि नेताओं और बड़े के लिए कानून अलग होता है।

आम आदमी अगर कोई गलती करता है तो उसे तुरंत सजा हो जाती है जबकि नेताओं, उद्योगपतियों, फिल्मस्टार व अमीरों के लिए अलग कानून होता होता है। क्या भारतीय संविधान में सबके लिए अलग-अलग कानून है? यदि नहीं तो ऐसा क्यों है?

घर पहुंचकर जैसे ही मैंने टेलीविज़न ऑन किया तो न्यूज़ आ रही थी की  पिछले साल रक्षा मंत्रालय की ख़बरें लीक हुई थी और पाकिस्तानी सेना के पास पहुंच गई थी।  कुछ दिनों पहले ही रक्षा मंत्रालय केदस्तावेज  दस्तावेज चोरी हुए थे और बहुत सारे लोगो की गिरफ़्तारी भी हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे लोग सब कुछ भूल जायेंगे और केश का रफा दफा हो जायेगा या फिर उसका केश तब तक चलेगा जबतक कि उसकी मृत्यु नहीं हो जाती।

आपको क्या लगता है हमारे देश का प्रशासन अगर क़ानून का सख्ती से पालन करे तो कोई अपराध हो सकता है? 

क्या कोई सरकार सच में आम आदमी की स्थिति सुधारना चाहती है?
क्या हमारा संविधान इतना कमज़ोर है कि दोषियों को सजा नहीं मिल सकती है?
क्या प्रसासन नेताओं की कठपुतली है?
क्या हमारे देश का कुछ हो सकता है?

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